कुर्सी खाली क्यों है?
भारी न पड़ जाए अति आत्म विश्वास
कुर्सी के लिए मुंगेरी लाल से भी ज्यादा हसीन सपने देख रही कांग्रेस को कुछ खालीपन का एहसास होने लगा है। कमलनाथ की रैली में खाली कुर्सियां देखकर कांग्रेस के ही नेता कह रहे हैं कि कहीं अति आत्मविश्वास भारी न पड़ जाए। एक तरफ कठिन चुनौती मानकर भाजपा का पूरा सत्ता - संगठन कार्यकर्ताओ को लामबंद करने में जुटा है। अमित शाह की रैली में जुटी भीड़ और आलाकमान की सक्रियता से स्थानीय स्तर पर भाजपा का उत्साह बढ़ा है। कांग्रेस भी कमलनाथ के बूते पूरा जोर लगा रही है। अब कमलनाथ को जानता अपना नाथ मानती है या नही ये तो बाद में पता चलेगा। लेकिन उनकी रैली का फीकापन देखकर कांग्रेसियों का डर तो स्वाभाविक है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि  हम बस ये सोचकर बैठ गए हैं कि शिवराज का राज खुद ब खुद चला जायेगा। लेकिन मोदी - शाह की जोड़ी हारी हुई बाजी भी पलट देती है। यहां तो अभी शिवराज का ही राज है। इसलिए अगर कांग्रेस चौकन्ना नही हुई तो मध्यप्रदेश में कमलनाथ का हाथ सत्ता से फिर दूर न रह जाये। बाकी एक पेंच यह भी है कि ,कांग्रेस के कई बड़े नेता अभी से कह रहे हैं भाई अबकी बार कांग्रेस नही कमलनाथ की लड़ाई है। यानि  कांग्रेस में भितरघात भी कम नही। फिलहाल भाजपा चुनौतियों के बीच अपना घर संभालकर सत्ता की राह संवारने में पूरी ताकत से जुट गई है। वहीं कांग्रेस भाजपा की विफलता में अपनी सफलता की आस लगाए हुए है।