धर्म, संस्कृति, आस्था, व्यापार और रोजगार की सुनहरी कहानी लिखेगा ‘एकात्म धाम’ओमकारेश्वर

धार्मिक नगरी उज्जैन में महाकाल लोक बनने के बाद से शहर की अर्थव्यवस्था को ऊंची उड़ान मिली है। केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल के दौरान जिस तरह से राष्ट्रीय स्तर पर धर्म और संस्कृति को सहेजने व संवारने का राष्ट्रीय अभियान प्रारंभ हुआ है, उसकी जीवंत तस्वीर वर्ष 2022 में महाकाल लोक के रूप में सामने आई है और अब महाकाल लोक के साथ-साथ ओंकारेश्वर को भी धर्म और संस्कृति के साथ एकात्म धाम से जोड़कर प्रदेश के विकास की नई कहानी लिखी जाएगी।

महाकाल लोक – धर्म, संस्कृति और रोजगार का मेल

11 अक्टूबर 2022 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकार्पण के बाद महाकाल लोक राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अचानक सुर्खियों में आ गया। महाकाल की नगरी उज्जैन की सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत अटल एवं अमिट है परंतु महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद उज्जैन नगरी लगभग आठ गुनी रफ्तार से विकास के साथ-साथ व्यापार से जुड़ती चली गई। उज्जैन नगरी में महाकाल लोक के निर्माण के साथ प्रॉपर्टी की कीमतों में एक तरफ जहां चार गुना प्रगति हुई, वहीं दूसरी ओर स्थानीय रोजगार में भी 200% से अधिक प्रगति सामने आई ।

भोले के दरबार में तीन गुना बढ़ी भक्तों की संख्या

वर्ष 2020 में महामारी काल के दौरान महाकाल की नगरी उज्जैन में भक्तों की संख्या 15 से 18% पर आ गई थी, लेकिन 2021 के बाद भक्तों की संख्या दोगुनी हुई और महाकाल लोक के निर्माण के बाद इस संख्या में लगभग 3-4 गुना वृद्धि हुई है। अकेले सावन माह में ही लगभग पौने दो करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दर्शन किए थे।

होटल इंडस्ट्री और बड़े उद्योगों की पसंद बना उज्जैन

महाकाल मंदिर समिति को वर्ष 2021 में 22 करोड़ 13 लाख रुपए का दान प्राप्त हुआ था, वहीं वर्ष 2022 में यह दान बढ़कर 46 करोड़ 51 लाख पर पहुंच गया। 2023 में अकेले सावन माह में मंदिर को 200 करोड़ से अधिक का दान प्राप्त हुआ है। महाकाल मंदिर लगभग 3 हजार करोड़ की अर्थव्यवस्था बन चुका है। होटल व्यवसाय के बाद अब पेप्सिको इंडिया जैसे उद्योग भी उज्जैन में अपना व्यापार जमाने में रूचि दिखा रहे हैं।

एकात्म धाम बदलेगा ओंकारेश्वर की तस्वीर

महाकाल लोक के निर्माण के बाद जिस तरह उज्जैन नगरी राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई ऊंचाइयों के रूप में सामने आई है, इसी तरह ओंकारेश्वर भी अब जल्द ही धार्मिक एवं सांस्कृतिक आस्था के साथ-साथ व्यापार की दृष्टि से एक नवीन इतिहास लिखने जा रहा है। लगभग 126 हैक्टेयर भूमि पर अलौकिक आध्यात्मिक एकात्म धाम के निर्माण के साथ-साथ 108 फीट ऊंची आदि गुरु शंकराचार्य की मूर्ति के साथ ओंकारेश्वर मंदिर को सहेजा एवं संवारा जा रहा है। निश्चित रूप से आने वाले समय में ओंकारेश्वर भी महाकाल लोक की तरह संस्कृत एवं धार्मिक विरासत का बड़ा केंद्र बनकर सामने आएगा।

महाकाल और ओंकारेश्वर को जोड़ेगा कॉरिडोर

ओंकारेश्वर धाम के विकास के लिए केंद्र सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार की विशेष योजना के अंतर्गत करोड़ों रुपए की लागत से एक तरफ जहां भगवान शंकराचार्य की मूर्ति का निर्माण हो रहा है वहीं दूसरी ओर एक ऐसी पर्यटन पट्टी का निर्माण किया जाएगा जो भक्तों को महाकाल एवं ओंकारेश्वर से स्वतः जोड़ देगी। महाकाल लोक आने वाले 70% से अधिक भक्तगण ओंकारेश्वर धाम अवश्य जाते हैं। ओंकारेश्वर धाम को नवीन रूप दिये जाने के बाद निश्चित रूप से यहां की तस्वीर भी बदलेगी और उसका सीधा-सीधा असर खंडवा जिले को प्राप्त होगा।