भोपाल । मध्यप्रदेश की सत्ता में अपनी धाक कायम रखने का प्रयास कर रही भाजपा के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं। एक ओर जहां केंद्र की टीम ने मप्र में अपने मंझे हुए खिलाडिय़ों को मैदान में उतार दिया है वहीं दूसरी ओर इन दिग्गजों के लिए भी जीत की राह आसान नहीं है। विधानसभा चुनाव में जीत के लिए भले ही भाजपा अभी से कितने भी दावे कर ले पर उसके लिए यह राह उतनी आसान नहीं लग रही है। विरोधी पार्टी कांग्रेस के साथ अब आरएसएस के पूर्व प्रचारकों द्वारा बनाई गई जनहित पार्टी भी मैदान में उतर चुकी है। जनहित पार्टी के संस्थापक अभय जैन ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के सामने मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है।
हिन्दुत्व के मुद्दे पर लगातार कांग्रेस को घेर रही भाजपा के लिए जनहित पार्टी बड़ी परेशानी बन सकती है। आरएसएस के पूर्व प्रचारकों ने जनहित पार्टी को भविष्य की राजनीति और हिन्दुत्व के मूल्यों के आधार पर ही मूर्त रूप दिया है। अभी भाजपा भी हिन्दुत्व और विकास के नारे को लेकर मैदान में है और जनहित पार्टी भी इन दोनों मुद्दों पर ही राजनीति कर रही है। जनहित पार्टी के संस्थापक और इंदौर के पूर्व विभाग प्रचारक अभय जैन ने कहा कि यदि इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक एक से पार्टी ने चुनाव लडऩे की अनुमति दी तो मैं जरूर वहां से लड़ूंगा। अभी उस क्षेत्र से किसी का नाम तय नहीं हुआ है और यदि बेहतर उम्मीदवार नहीं मिलेगा तो मैं खुद वहां से कैलाश विजयवर्गीय के सामने चुनाव लड़ूंगा।


13 सीटों पर दावेदार तय
अभय जैन ने बताया कि मध्यप्रदेश में 13 सीटों पर जनहित पार्टी के दावेदार तय हो चुके हैं। हम 25 सीट पर जल्द ही दावेदार तय कर लेंगे। अगले सप्ताह तक अधिकांश दावेदारों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी। अभय जैन ने कहा कि हम 230 सीट पर विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए तैयार हैं। यदि में सही दावेदार मिलेंगे तो हम हर सीट पर उन्हें चुनाव लड़ाएंगे।