मध्य प्रदेश में भारी बिजली संकट
बिजली की मांग 15000 उपलब्ध 9000 मेगावाट
भोपाल । कम बारिश होने के कारण एक और बिजली का उत्पादन कम हो रहा है। वहीं बिजली की मांग निरंतर बढ़ती ही जा रही है। सिंचाई के लिए किसानों को बिजली मांग के अनुरूप उपलब्ध नहीं हो रही है। मध्य प्रदेश में इस समय 15000 मेगावाट बिजली की मांग है। लेकिन मध्य प्रदेश में 9000 मेगावाट बिजली उपलब्ध हो पा रही है। जिसके कारण फसलों की सिंचाई नहीं हो पा रही है। किसानो की फसलें बर्बाद हो रही है। बिजली कंपनियों ने 15000 मेगावाट के लॉन्ग टर्म अनुबंध बिजली कंपनियों से कर रखे हैं। बिजली कंपनियों द्वारा बिजली की सप्लाई मांग के अनुरूप नहीं की जा रही है। अनुबंध के अनुसार यदि बिजली सप्लाई नहीं करते हैं, तो भी जिन कंपनियों के सरकार के साथ लॉन्ग टर्म अनुबंध है। इन्हें बिजली कंपनियों से बिना बिजली सप्लाई किये पैसा मिलता है। 2020-21 में भी जब बिजली की मांग बढ़ी थी। तब अनुबंध करने वाली बिजली कंपनियों ने बिजली की सप्लाई नहीं की थी। सरकार को लगभग 900 करोड रुपए बिना बिजली के इन बिजली कंपनियों को 2020-21 में भुगतान करना पड़ा था।
बिजली की कटौती शुरू
मध्य प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में बिजली की कटौती शुरू हो गई है। 3 घंटे घोषित और तीन से 4 घंटे तक अघोषित कटौती बिजली की देखने को मिल रही है। किसानों को सिंचाई के लिए बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है। कई स्थानों पर सिंचाई नहीं होने से फसल भी बर्बाद हो रही है। जिससे किसानों में गुस्सा देखने को मिल रहा है।
10 से 12 रुपए यूनिट में बिजली खरीदने की तैयारी
मध्य प्रदेश में नवंबर माह में विधानसभा चुनाव होना है। बिजली कटौती से सरकार के हाथ पैर फूल गए हैं। सरकार ने किसी भी कीमत पर बिजली खरीदने के निर्देश बिजली कंपनियों को दिए हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव दिल्ली गए हैं। वह बिजली खरीदने के लिए विभिन्न कंपनी से बात कर रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से उन्हें 10 से 12 रूपये प्रति यूनिट में भी यदि बिजली उपलब्ध हो, तो खरीदने की हरी झंडी दी गई है।