तीसरा मोर्चा बिगाड़ेगा कांग्रेस-भाजपा का गणित
भोपाल । मप्र में वैसे तो भाजपा और कांग्रेस के बीच ही चुनावी मुकाबला होता रहा है, लेकिन थर्ड फ्रंट यानी तीसरे मोर्चे के दल दोनों पार्टियों का चुनावी गणित बिगाड़ते रहते हैं। मिशन 2023 के लिए इस बार बसपा, सपा और आप बड़े-बड़े दावे का साथ चुनावी तैयारी में जुटे हुए हैं। खासकर विंध्य, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल अंचल में बसपा, सपा और आप की जोरदार धमक सुनाई और दिखाई दे रही है। जानकारों का कहना है कि इन तीनों क्षेत्र की 90 सीटों पर थर्ड फ्रंट भाजपा-कांग्रेस का गणित बिगाड़ेगा।
मप्र विधानसभा चुनाव के दिन नजदीक आते ही प्रदेश का चुनावी पारा बढ़ता जा रहा है। प्रदेश में भाजपा, कांग्रेस के चुनावी मोर्चा खोलने के साथ ही अब सपा, बसपा और आप ने भी सक्रियता बढ़ा दी है। हमेशा की तरह इस बार भी भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा। लेकिन एक मजबूत क्षेत्रीय राजनीतिक संगठन के अभाव में कुछ अन्य दल अपने क्षेत्रों का विस्तार करने का प्रयास करेंगे। पिछले साल कोयला नगरी सिंगरौली में मेयर पद जीतकर शानदार एंट्री करने वाली दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी इस साल पहली बार मप्र में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। वहीं सपा और बसपा अपना अब तक का बेहतर प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं।
वैसे तो प्रदेश में सपा और बसपा का प्रभाव विंध्य, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल अंचल की कई सीटों पर दिखता है। अब इस सूची में आप का नाम भी शामिल हो गया है। बसपा-सपा की नजर जातिगत वोट बैंक पर है तो आप को एंटी-इनकम्बेंसी और अरविंद केजरीवाल की दस गांरटी योजनाओं की घोषणाओं पर है। तीनों पार्टियों को विंध्य बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल की 90 सीटों से उम्मीद है। सपा और बसपा इन तीनों इलाकों में कांग्रेस-भाजपा का चुनावी गणित बिगाड़ती रही हैं। दोनों पार्टियों के उम्मीदवार यहां जीतने के साथ ही भाजपा-कांग्रेस के चुनावी परिणाम को प्रभावित करते रहे हैं। बसपा 16 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। आप ने दस और सपा ने 7 उम्मीदवारों की सूची जारी की है। ज्यादातर उम्मीदवार इन्हीं तीन क्षेत्रों से हैं। बसपा ने 2018 में 227 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे 202 पर जमानत जब्त हो गई थी। सपा के 52 में से 45 की जमानत जब्त हुई थी। बसपा ने 2013 में 227 सीटों में से 4 जीतीं। 194 में जमानत जब्त हुई। 6।29 प्रतिशत वोटशेयर रहा। सपा की 164 में से 161 पर जमानत जब्त हो गई थी। चार सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। सपा-बसपा अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन दोहराने की कोशिश में हैं। सपा ने सबसे ज्यादा सात सीटें 2003 में जीती थीं। बसपा की झोली में 1998 में 11 सीटें गई थीं। इसके बाद दोनों की सीटें कम होती गई। पिछले चुनाव में बसपा ने 2 और सपा ने 1 सीट जीती थीं। 2013 में सपा को शून्य और बसपा को चार सीटें मिलीं। हालांकि कहीं न कहीं दोनों पार्टियों का उत्तरप्रदेश की सत्ता में होने का असर मध्यप्रदेश में असर वोट प्रतिशत बढऩे के रूप में दिखा है।
विंध्य, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल अंचल में बसपा, सपा और आप की जोरदार तैयारी इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यहां थर्ड फ्रंट की संभावना हमेशा बनी रहती है। वर्तमान में ग्वालियर-चंबल के 8 जिलों में 34 सीट हैं। 26 सीट कांग्रेस, भाजपा को 7 और बसपा के पास एक सीट है। विंध्य के सात जिलों की 30 सीट हैं। 2018 में 30 में से 24 सीटें भाजपा को मिली थीं। 2013 में बसपा दो सीट जीती थी। पिछले छह चुनावों में जिन 24 सीटों पर बसपा जीती है, उसमें 10 विंध्य क्षेत्र की हैं। बुंदेलखंड के सात जिलों में 26 में से 17 पर भाजपा और सात सीटों पर कांग्रेस है। सपा-बसपा के खाते में भी एक-एक सीट आई थी। सपा विधायक ने भाजपा का दामन थाम लिया था।
मिशन 2023 में भाजपा-कांग्रेस में भले ही मुकाबला होना है, लेकिन सपा, बसपा और आप भी अधिक से अधिक सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल का कहना है कि पार्टी सामान्य सीटों पर भी फोकस कर रही है। बघेलखंड में भी हम तीन से चार सीट जीतेंगे। पार्टी जमीनी कार्यकर्ताओं को टिकट दे रही है तो जनता के वोट भी मिलेंगे। इस बार प्रदेश की 100 सीटों पर फोकस है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की रीवा और छतरपुर में सभा हो चुकी हैं। प्रदेश अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल का कहना है कि पार्टी 130 सीटों पर मजबूत स्थिति में है बुंदेलखंड, विंध्य, ग्वालियर- चंबल के साथ ही बघेलखंड की सीटों पर जीत मिलेगी। वहीं आप को ग्वालियर-चंबल, विंध्य, बुंदेलखंड के साथ ही निमाड़-मालवा में भी ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद है। पार्टी ने निमाड़-मालवा में तेजी से संगठन तैयार किया है। आप केजरीवाल की दस गारंटी पर चुनाव में ताल ठोक रही है। उनकी विंध्य में दो सभाएं हो चुकी हैं।